Sansaar Hai Ek Nadiya

अपर्ण मयेकर, कमलेश अवस्थी

संसार है इक नदिया दुःख-सुख दो किनारे हैं ना जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं संसार है इक नदिया दुःख-सुख दो किनारे हैं ना जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं संसार है इक नदिया चलते हुए जीवन की रफ़्तार में इक लय है इक राग में इक सुर में संसार की हर शय है संसार की हर शय है इक तार पे गर्दिश में ये चाँद सितारे हैं ना जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं संसार है इक नदिया कोई भी किसी के लिए अपना ना पराया है रिश्तो के उजाले में हर आदमी साया है हर आदमी साया है कुदरत के भी देखो तो ये खेल पुराने हैं ना जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं संसार है इक नदिया है कौन वो दुनिया में ना पाप किया जिसने बिन उलझे काटो से हैं फूल चुने किसने हैं फूल चुने किसने बेदाग नहीं कोई यहाँ पापी सारे हैं ना जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं संसार है इक नदिया दुःख-सुख दो किनारे हैं न जाने कहाँ जाएं हम बहते धारे हैं हम बहते धारे हैं हम बहते धारे हैं हम बहते धारे हैं

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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