Sapne

अश्विन भांडारे, पलक मुच्छल

सपने आँखों से तू उतर के है सामने जो मेरे सच हो रहा है तू अब इस पल में साईं तू दूर हमसे रहना आपस की बात है बस हमको तनहा तू अब छोड़ दे दो दिलो की जो बात हो रही और कोई वहाँ पे हो मेरी जन्नत है वो है वो बस जहाँ पे तुम हो तुम हो तुझसे है हासील जो चाहू मैं तेरी खुशियों में शामिल है मेरी हर ख़ुशी जब तू है पास तो पास तो खुशबू फ़िज़्ज़ा में हो है रंग हर खिला जहां में सपने आँखों से तू उतर के है सामने जो मेरे हम्म यूँ ही बातें करते आँखें मेरी छलकी तू है ये जानकार भर आयी है तेरे बाहों में ही निकले जान ये मेरी कोई भी दर्द न हो तुझको फिर कभी हर ग़म से दूर मैं रखूँ तुझे हम्म हम्म हम्म

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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