Tujhko Darya Dili Ki Kasam
Chitra Singh, Jagjit Singh
तुझको दरया दिली की कसम साक़िया
मुस्तकिल दौर पर दौर चलता रहा
रौनक-ए-मैकड़ा यून ही बढ़ती रहे
रौनक-ए-मैकड़ा यून ही बढ़ती रहे
एक गिरता रहे इक संभलता रहे
रौनक-ए-मैकड़ा यून ही बढ़ती रहे
एक गिरता रहे इक संभलता रहे
शिरफ़ सबनम ही शान-ए-गुलिस्ता नहीं
शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे
ाश्क़ भी कॅज़म-ए-पूर्णाम से बहते रहे
और दिल से धूआन भी निकलता रहे
तेरे क़ब्ज़े में है ये मिज़ामी जहाँ
तू जो चाहे तो सेहरा बने गुलसिटान
तेरे क़ब्ज़े में है ये मिज़ामी जहाँ
तू जो चाहे तो सेहरा बने गुलसिटान
हर नज़र पर तेरी फूल खिलते रहे
हर इशारे पे मौसम बदलता रहे
शिरफ़ सबनम ही शान-ए-गुलिस्ता नहीं
शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे
तेरे चेहरे पे ये ज़ुलफ बिखरी हुई
नींद की गोध में सुबह निखरी हुई
तेरे चेहरे पे ये ज़ुलफ बिखरी हुई
नींद की गोध में सुबह निखरी हुई
और इस पर सितम ये अदाएँ तेरी
दिल है आख़िर कहाँ तक संभलता रहे
शिरफ़ सबनम ही शान-ए-गुलिस्ता नहीं
शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे
इस में खून-ए-तमन्ना की तासीर है
ये वफ़ा-ए-मोहब्बत की तस्वीर है
इस में खून-ए-तमन्ना की तासीर है
ये वफ़ा-ए-मोहब्बत की तस्वीर है
ऐसी तस्वीर बदले ये मुमकीन नहीं
रंग चाहे ज़माना बदलता रहे
शिरफ़ सबनम ही शान-ए-गुलिस्ता नहीं
शोला-ओ-गुल का भी दौर चलता रहे
ाश्क़ भी कॅज़म-ए-पूर्णाम से बहते रहे
और दिल से धूआन भी निकलता रहे
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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