Ek Sapnon Ka Ghar

Chitra Singh, Jagjit Singh

एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा..कैसा रहेगा एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा एक फूलो का घर और उस में तुम्हे हम सज़ा ले तो कैसा रहेगा एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा सारी दुनिया के घाम क्यूँ तुम्हारे लिए काम छ्चोड़ो भी कोई हमारे लिए सारी दुनिया के घाम क्यूँ तुम्हारे लिए काम छ्चोड़ो भी कोई हमारे लिए प्यार की राह में घाम के काँटे है जो हम उथले तो कैसा रहेगा एक फूलो का घर और उस में तुम्हे हम सज़ा ले तो कैसा रहेगा एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा शाम की शोखिया रात की मस्तियाँ जीके देखो ज़रा ज़िंदगी है यहाँ शाम की शोखिया रात की मस्तियाँ जीके देखो ज़रा ज़िंदगी है यहाँ इन महकते हुए घेसू ओ में तुम्हे हम च्छुपाले तो कैसा रहेगा एक फूलो का घर और उस में तुम्हे हम सज़ा ले तो कैसा रहेगा एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा एक फूलो का घर और उस में तुम्हे हम सज़ा ले तो कैसा रहेगा एक सपनों का घर और घर में तुम्हें हम बसले तो कैसा रहेगा..कैसा रहेगा

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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