Ek Raat Main Do Do Chand
कमलेश अवस्थी
एक रात में दो दो चाँद खिले
एक घूँघट में एक बदलि में
एक रात में दो दो चाँद खिले
हम्म हम्म हम्म हम्म
अपनी अपनी मंजिल से मिले
एक घूँघट में एक बदलि में
एक रात में दो दो चाँद खिले
बदली का वह चाँद तोह सबका है
घूँघट का यह चाँद तोह अपना है
आ आ आ आ आ आ
बदली का वह चाँद तोह सबका है
घूँघट का यह चाँद तोह अपना है
मुझे चाँद समझने वाले बता
यह रात है या कोई सपना है
यह रात है या कोई सपना है
एक रात में दो दो चाँद खिले
एक घूँघट में एक बदलि में
अपनी अपनी मंजिल से मिले
एक घूँघट में एक बदलि में
एक रात में दो दो चाँद खिले
मालूम नहीं दो अनजाने
राही कैसे मिल जाते हैं
फूलो को अगर खिलना हैं तो
विरानो में खिल जाते हैं
विरानो में खिल जाते हैं
एक रात में दो दो चाँद खिले
एक घूँघट में एक बदलि में
अपनी अपनी मंजिल से मिले
एक घूँघट में एक बदलि में
एक रात में दो दो चाँद खिले
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
Create your own version of your favorite music.
Sing now