Allah Tala

कैलाश खेर

मैं एक फरिश्ता था जन्नत का रहने वाला क्यों तूने की इजात मेरी क्यूँ जन्नत से निकाला क्यों तूने की इजात मेरी क्यूँ जन्नत से निकाला अल्लाह ताला बोल अल्लाह ताला अल्लाह ताला बोल अल्लाह ताला जो फल खाना था माना उसी के खाने को उकसाया कौआ से सोहबत करने का किसने अरमान जगाया मजबूर मिलन को उन्हें किसने कर डाला अल्लाह ताला बोल अल्लाह ताला आदम की मसला धूलि हुई और बस गयी दुनिया सारी जन्नत ने उनको फूलो की हैं कितनी बड़ी फूल वाली माला से माला बनी माला से माला हो अल्लाह ताला समज अल्लाह ताला मिट्टी के इंसान बनाए फिर उन में दिल धड़काए दिल में ख्वाइश जागी ख्वाइश ने सब ज़ुल्म कराए खुद को ना संभाला गया खुद को ना संभाला अल्लाह ताला समज अल्लाह ताला पागल पन की हालत में खुद पे काबू को निरखता है दीवाना फिर भी दीवाना है वो कुछ भी कर सकता नस नस में ज्वाला जले नस नस में ज्वाला अल्लाह ताला सोच अल्लाह ताला हाथो से होंठों तक आते जब जाम फिसल जाता हैं तब दिल वैशी हो जाता हैं और खून उबाल जाता हैं तब दिल वैशी हो जाता हैं और खून उबाल जाता हैं एकाधी प्यारा श्रीमाने एकाधी प्यारा अल्लाह ताला सोच अल्लाह ताला शैतान तेरा दुश्मन हैं उसपर पर तेरा बस नही चलता वो दीया बुझा कर कुछ होता जो तूफ़ानो में जलता अब मैं ज़ालिम हो जाऊँ तो तू मुझ पर ज़ुल्म ना ढाना तेरे ही कुछ इंतक़ाम मेरे पीछे मत आना नही सुनने वाला मैं कुछ नही सुनने वाला अल्लाह ताला बक्श अल्लाह ताला अल्लाह ताला अल्लाह ताला अल्लाह ताला

Written by: Ravindra JainLyrics © Phonographic Digital Limited (PDL)Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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