Ishq Ki Aag

कैलाश खेर

इश्क़ की आग बहुतै तीखी कोई दवा लगे न दारु एक अजब सी आग उट्ठे मन में कैसे इश्क का भूत उतारु तन धूम तन धूम तन तन धूम तन तन धूम तन धूम तन तन धूम तन तन धूम तन धूम तन तन धूम तन तन धूम तन धूम तन तन धूम तन जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार न करो न करो न करो इनकार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार न करो न करो न करो इनकार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है जिस्म ओ जान की ज़रुरत है (ग ग ग ग रे ग ग ग रे ग ग )चेहरे पे आ गया देख लो कैसा नूर आँखों में सुरूर बिनती ये ही है हुज़ूर आँखों में सुरूर बिनती ये ही है हुज़ूर है यही इन्तेज़ा न रहो हमसे दूर है यही इन्तेज़ा न रहो हमसे दूर अब ये हाँ जानेमन कर दो न छैक न चूर जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार न करो न करो न करो इनकार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार न करो न करो न करो इनकार जिस्म ओ जान की ज़रुरत है प्यार

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