Badalon Ki Oat Mein

Bhupen Hazarika

बादलों की ओट में चाँद च्छूपा क्यों हौले से वो लेता अंगडायाँ है क्यों मुखड़े पे लिखी लिखी है उलझन जानता है आसमान वो तन्हा है क्यों बादलों की ओट में चाँद च्छूपा क्यों हौले से वो लेता अंगडायाँ है क्यों मुखड़े पे लिखी लिखी है उलझन जानता है आसमान वो तन्हा है क्यों खिले खिले चेहरे है सुने से नयन द्वार पे रंगोली है खाली खाली मॅन खिले खिले चेहरे है सुने से नयन द्वार पे रंगोली है खाली खाली मॅन चलना अकेले है जो सब को यहाँ चले साथ साथ परछाईयाँ भी क्यों बादलों की ओट में चाँद च्छूपा क्यों हौले से वो लेता अंगडायाँ है क्यों मुखड़े पे लिखी लिखी है उलझन जानता है आसमान वो तन्हा है क्यों चुरा चुरा है अंधेरा हवा साननन हाथ हाथ ढूंदे हाथ की चूवान चुरा चुरा है अंधेरा हवा साननन हाथ हाथ ढूंदे हाथ की चूवान डोर डोर दिल और पास है भारण हस्ते हस्ते लगता है क्यों हासे थे हम जी में आता है रो रो सुज़ले आँख हम हेस्ट हेस्ट लगता है क्यों हासे थे हम जी में आता है रो रो सुज़ले आँख हम रेत के वो पॉ जाने कहाँ खो गये रूठी रूठी हुई पुरवइयाँ है क्यों बादलों की ओट में चाँद च्छूपा क्यों हौले से वो लेता अंगडायाँ है क्यों मुखड़े पे लिखी लिखी है उलझन जानता है आसमान वो तन्हा है क्यों बादलों की ओट में चाँद च्छूपा क्यों

Written by: BHUPEN HAZARIKA, PRASOON JOSHILyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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