Kitne Hi Sagar
Bhupen Hazarika
कितने ही सागर कितने ही धरे
टायर रही टायर रहा हूँ
मॅन मजधहारा कोई ना किनारा
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही धरे
टायर रही टायर रहा हूँ
मॅन मजधहारा कोई ना किनारा
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही सागर
यह मॅन का समंदर
सदियों से गहरा
यह मॅन का समंदर
सदियों से गहरा
लहरों का अंत नही है
एक पल डूबना एक पल तैरना
एक पल डूबना एक पल तैरना
जीना और मारना यहीं है
कितने ही सागर कितने ही धरे
तेरे हे तैर रहा हूँ
साहिलो के पार जहाँ
बस्ती की शांति
आग भी सुलग्नी लगी है
साहिलो के पार जहाँ
बस्ती की शांति
आग भी सुलग्नी लगी है
जुंग की अगन से पानी ओ के साहिल
आज पीगलने लगे है
छ्चोड़ के साहिल तोड़ के कश्ती
छ्चोड़ के साहिल तोड़ के कश्ती
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही धरे
तेरे हे तैर रहा हूँ
आँधी तूफान रुकती है राही
आते है डुबोने सारे
आँधी तूफान रुकती है राही
आते है डुबोने सारे
मॅन का ये माझी
ढूंढता है फिर भी
नये आकाश किनारे
ज़िंदगी सहना ज़िंदगी बहना
ज़िंदगी सहना ज़िंदगी बहना
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही धरे
तेरे हे तैर रहा हूँ
गहरा ये सागर ढूढ़ती
दिशा ए दिशा दिखता है
गहरा ये सागर ढूढ़ती
दिशा ए दिशा दिखता है
लहरों के हाथो आकाश
च्छुनके जीना सिखाता है
सागर पे रहना
सागर में बहना
सागर पे रहना
सागर में बहना
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही धरे
तेरे हे तैर रहा हूँ
मॅन मजधहारा कोई ना किनारा
बहता हूँ बहता रहा हूँ
कितने ही सागर कितने ही सागर
Written by: Dr Bhupen Hazarika, GulzarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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