O Haseena Zulfonwale Jane Jahan
राघव सच्चर, ज्योतिका टंगरी
ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहाँ
ढूंढ़ती हैं काफ़िर आँखें किसका निशान
महफ़िल महफ़िल ए शमा फिरती हो कहाँ
महफ़िल महफ़िल ए शमा फिरती हो कहाँ
वो अंजाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
वो दीवाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
जलाकर जो छिप गया हैं(ऊ)
वो परवाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
गर्म हैं तेज़ हैं यह निगाहें मेरी
काम आ जाएँगी सर्द आहें मेरी
तुम किसी राह में तो मिलोगे कहीं
अरे इश्क़ हूँ में कहीं ठहरता ही नहीं
में भी हूँ गलियों की परछाई
कभी यहाँ कभी वहाँ
शाम ही से कुछ हो जाता हैं
मेरा भी जादू जवान
ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहाँ
ढूंढ़ती हैं काफ़िर आँखें किसका निशान
आ आ
छिप रहें हैं यह क्या ढंग हैं आपका
आज तो कुछ नया रंग हैं आपका
हाय आज की रात में क्या से क्या हो गयी
आपकी सादगी तो बला हो गयी
मैं भी हूँ गलियों की परछाई
कभी यहाँ कभी वहाँ
शाम ही से कुछ हो जाता हैं
मेरी भी जादू जवां
ओ हसीना जुल्फों वाली जाने जहाँ
ढूंढ़ती हैं काफ़िर आँखें किसका निशान
महफ़िल महफ़िल ए शमा फिरती हो कहाँ(आ )
महफ़िल महफ़िल ए शमा फिरती हो कहाँ(आ )
वो अंजाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
वो दीवाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
जलाकर जो छिप गया है(ऊ)
वो परवाना ढूंढ़ती हूँ(ऊ)
Written by: MAJROOH SULTANPURI, RAHUL DEV BURMANLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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