काबुल फ़िज़ा

राघव सच्चर

यह सफ़र यह इम्तिहान बेज़ुबान मेरी दस्ताअन जीने का यह है फलसफा गुम में भी खुशियों की सदा है यहाँ जाने खुदा ना जाने खुदा यह जो हुआ क्या जाने खुदा खोई सी है यहाँ सब की दुआ काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा लमहू में जीने का निशान ख्वाबो में डुनधे आशियाँ हर एक नज़र हर एक दिल तनहां सोइ हुई आखून का सपना है यहाँ जाने खुदा ना जाने खुदा यह जो हुआ क्या जाने खुदा काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ाआआआआआआआआ उम्म्म हा खुदा के बंदे हम खुदा के सजदे में गुम खुदा की रहमत की गुण गाती है हम और तुम हो खुदा की महफ़िल में आ खुदा को अपना बना देख कैसे खुदा बनाए तुझको आख़िर से इंसान खोया कहाँ तेरी ज़मीएं तेरा जहाँ है यहाँ काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा देखो ज़रा यह है काबुल फ़िज़ा तेरी ज़मीएं तेरा है जहाँ काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ाआअ जाने खुदा ना जाने खुदा यह जो हुआ क्या जाने खुदा खोई सी है यहाँ सब की दुआ काबुल फ़िज़ा यह है काबुल फ़िज़ा

Written by: ADITYA DHAR, RAGHAV SACHARLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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