Tum Meri Rakho Laaj

विजय प्रकाश, पं.रतन मोहन शर्मा

तुम मेरी राखो लाज हरी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम जानत सब अंतर्यामी तुम जानत सब अंतर्यामी करने कछु ना करी तुम मेरी राखो लाज हरी अवगुन मोसे विसरत नाही अवगुन मोसे विसरत नाही पल चीन घडी घडी अवगुन मोसे विसरत नाही पल चीन घडी घडी सब प्रपंच की पोट बांध करी सब प्रपंच की पोट बांध करी अपने शीश धरी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम मेरी राखो लाज हरी धारा सूत धन मोह लिए हो धारा सूत धन मोह लिए हो सुधी बुधी सब बिसरि धारा सूत धन मोह लिए हो सुधी बुधी सब बिसरि सूर्य पतित को मेघ उधारो ओ ओ ओ ओ सूर्य पतित को मेघ उधारो अब मेरी नाव धरी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम जानत सब अंतर्यामी तुम जानत सब अंतर्यामी करने कछु ना करी तुम मेरी राखो लाज हरी तुम मेरी राखो लाज हरी

Written by: KEDAR PANDIT, SURDASLyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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