Main Kiski Laaj Nibhaoon

पारूल घोष

मैं किसकी लाज़ निभौ और कैसे लाज़ निभाउ मैं किसकी लाज़ निभाउ ये जाग की रीत का बंधन और प्रीत की ये है निशानी एक मे है हाथो की शोभा एक मे मन की कहानी एक मे है हाथो की शोभा एक मे मन की कहानी जाग के प्यार पे धीर धरू या सोता प्रेम जगाउ मैं किसकी लाज़ निभाउ करम का लिखा पढ़ ना पौ हू कौन सहारा धरम भी प्यारा प्रेम भी प्यारा किससे करू किनारा धरम भी प्यारा प्रेम भी प्यारा किससे करू किनारा इक मंदिर की नीव पड़े जब इक मंदिर को धौ मैं किसकी लाज़ निभौ और कैसे लाज़ निभौ मैं किसकी लाज़ निभौ

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