Duniya Isi Ka Naam Hai
शारदा, Mukesh
दुनिया में सब ही चेहरे
लगते तो हैं पेहचाने
क्यों फिर भी हैं अनजाने
यह बात वह ही जाने
हाय
दुनिया इसी का नाम है
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
अपने ही अपनों से यहाँ
बेगाने जैसे रहते हैं
बेगाने जैसे रहते हैं
बेगाने जैसे रहते हैं
दुनिया इसी का नाम है
जो हम चाहें जो तुम चाहो
वह कब होता है दुनिया में
मुक़द्दर के इशारों पे
यह सब होता है दुनिया में
यह सब होता है दुनिया में
दुनिया इसी का नाम है
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी का नाम है
कभी उस मोड़ पर लूटा गया
है कारवां दिल का
जहां से दो क़दम ही फासला
बाक़ी था मंज़िल का
यहाँ कहती है खामोशी
हज़ारों ग़म के अफ़साने
मगर इस बात का मतलब
कोई बेदर्द क्या जाने
कोई बेदर्द क्या जाने
दुनिया इसी का नाम है
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी का नाम है
यहाँ हर ग़म खुशी का इक नया
पैग़ाम लाता है
अँधेरी रात जाती है
सवेरा मुस्कुराता है
सवेरा मुस्कुराता है
दुनिया इसी का नाम है
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी को कहते हैं
दुनिया इसी का नाम है
Written by: JAIKSHAN SHANKAR, S H BIHARILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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