Rang Aur Noor Ki Barat

मोहम्मद वकिल

रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ रंग और नूर की बारात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हंसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ मैने जज़बात निभाए हैं उसूलों की जगह मैने जज़बात निभाए हैं उसूलों की जगह अपने अरमान पिरो लाया हूँ फूलों की जगह तेरे सेहरे की तेरे सेहरे की ये सौगात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ ये मेरे शेर मेरे आखिरी नज़राने हैं ये मेरे शेर मेरे आखिरी नज़राने हैं मैं उन अपनों मैं हूँ जो आज से बेगाने हैं बेत-आ-लुख़ सी बेत-आ-लुख़ सी मुलाकात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ सुर्ख जोड़े की तबोताब मुबारक हो तुझे सुर्ख जोड़े की तबोताब मुबारक हो तुझे तेरी आँखों का नया ख़्वाब मुबारक हो तुझे मे ये ख़्वाहिश मे ये ख़्वाहिश ख़यालात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ कौन कहता है चाहत पे सभी का हक़ है कौन कहता है चाहत पे सभी का हक़ है तू जिसे चाहे तेरा प्यार उसी का हक़ है मुझसे कह दे मुझसे कह दे मैं तेरा हाथ किसे पेश करूँ ये मुरादों की हसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ रंग और नूर की की बारात किसे पेश करूँ ये मुरादों की हंसीं रात किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ किसे पेश करूँ

Written by: Madan Mohan, Sahir LudhianviLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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