Hai Akhtiar Mein Tere

Chitra Singh

है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे वो शख़्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे ये रेगज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता ये रेगज़ार कहीं ख़त्म ही नहीं होता ज़रा सी दूर तो रस्ता हरा-भरा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे मैं उसके ज़ोर को देखूँ वो मेरा सब्र-ओ-सुकूँ मैं उसके ज़ोर को देखूँ वो मेरा सब्र-ओ-सुकूँ मुझे चराग़ बना दे उसे हवा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे अकेली शाम बहुत ही उदास करती है अकेली शाम बहुत ही उदास करती है किसी को भेज कोई मेरा हमनवा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे वो शख़्स मेरा नहीं है उसे मेरा कर दे है इख़्तियार में तेरे तो मौजज़ा कर दे

Written by: JAGJIT SINGH, RANA SAHARILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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