Baat Nahi Karni

असीस कौर, गोल्डी सोहेल

ना तुम समझे ना मैं समझी कैसे बदला है सब बीते ना यह दिन रातें ना गुज़रे बोलो है ऐसा क्यू अब मुझको तो खुद से ज़्यादा ही था तुझपे ऐतबार कैसे करूँगी अब मैं यकीन किसी पे भी बोलो ना जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही बिखरा बिखरा है ऐसे जो यूँ ही रहने दो ना जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही कैसे बताती दिल का इरादा तुम तो मुझसे खुद में थे ज़्यादा कैसे जताऊ कितना मैं चाहूं वक़्त नही था तुमको ज़रा सा काग़ज़ के पन्नो पे क़ायम नही रहेगा अब यह साथ अगले जनम अगर है लिखा तो होगी फिर मुलाक़ात रहने भी दो छोड़ो ना टूटा है जो दिल जोड़ो ना जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही बिखरा बिखरा है ऐसे जो यूँ ही रहने दो ना जाने दो ना बात नही करनी छोड़ दो ना जो भी है यही

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