Dil Dhundta Hai
Bhupinder Singh, Madan Mohan, Lata Mangeshkar
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन बैठे रहें
तसवउर ए जाना किए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वोही
जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
जाड़ों की नर्म धूप और आँगन में लेट कर
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
आँखों पे खींच कर तेरे दामन के साए को
औंधे पड़े रहें कभी करवट लिए हुए
दिल ढूंढता हैओ दिल ढूंढता
है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वोही
या गर्मियों की रात जो पूर्वाइयाँ चले
या गर्मियों की रात जो पूर्वाइयाँ चले
ठंडी सफेद चादरों पे जागें देर तक
ठंडी सफेद चादरों पे जागें देर तक
तारों को देखते रहें छत पर पड़े हुए
दिल ढूंढता है ओ दिल ढूंढता
है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वोही
बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
बर्फ़ीली सर्दियों में किसी भी पहाड़ पर
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
वादी में गूँजती हुई खामोशियाँ सुनें
आँखों में भीगे भीगे से लम्हे लिए हुए
दिल ढूंढता है ओ दिल ढूंढता
है फिर वही फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन बैठहे रहें
तसवउर ए जाना किए हुए
दिल ढूंढता है फिर वही
फ़ुर्सत के रात दिन
दिल ढूंढता है फिर वही
Written by: Gulzar, Madan MohanLyrics © O/B/O CAPASSOLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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