Ghazal Ke Phool

Bhupinder Singh, Mitali Singh

गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो चमन के हक़ में डुआं कर चले हैं हम दोनो गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो हमारे नगमे बरते हैं बादलो की तरह हमारे नगमे बरते हैं बादलो की तरह हमारे नगमे बरते हैं बादलो की तरह दिलो की प्यास बुझा कर चले हैं हम दोनो दिलो की प्यास बुझा कर चले हैं हम दोनो गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो हर एक दिल में मोहब्बत की रोशनी होगी हर एक दिल में मोहब्बत की रोशनी होगी हर एक दिल में मोहब्बत की रोशनी होगी कुच्छ इतना प्यार लूटा कर चले हैं हम दोनो कुच्छ इतना प्यार लूटा कर चले हैं हम दोनो गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो डुआं करो की बुझाए ना वक़्त की आँधी डुआं करो की बुझाए ना वक़्त की आँधी डुआं करो की बुझाए ना वक़्त की आँधी गाज़ल की शम्मा जला कर चले हैं हम दोनो गाज़ल की शम्मा जला कर चले हैं हम दोनो गाज़ल के फूल खिला कर चले हैं हम दोनो

Written by: AJMERI NASEEM, BHUPENDER SINGHLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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