Aalsi Sawan Badri Udaye
Bhupen Hazarika
आलसी सावन बद्री उड़ाए
मॅन पपिहरा प्यासा रह जाए
भीगी भीगी खिड़की से देखता हूँ
कोई आ जाए शायद कोई आ जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
मॅन पपिहरा प्यासा रह जाए
भीगी भीगी खिड़की से देखता हूँ
कोई आ जाए शायद कोई आ जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
मॅन पपिहरा प्यासा रह जाए
भीगी भीगी खिड़की से देखता हूँ
कोई आ जाए शायद कोई आ जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
बिजली की तारों पे झूलती बूंदे
सोच रही है क्या मेरी ही बाते
बिजली की तारों पे झूलती बूंदे
सोच रही है क्या मेरी ही बाते
सोचमी बूँद का भीगा चेहरा
च्चानक च्चानक जाए रस बरसाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
मॅन पपिहरा प्यासा रह जाए
भीगी भीगी खिड़की से देखता हूँ
कोई आ जाए शायद कोई आ जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
महानगरी में रहता हूँ
जूते दिलासे जीटा हूँ
महानगरी में रहता हूँ
जूते दिलासे जीटा हूँ
यादो के दाने बूननता हूँ
नियों लाइट ने यह इशारे
महानगरी सा मॅन संवारे
नियों लाइट ने यह इशारे
महानगरी सा मॅन संवारे
काश ये मेरा लिखा संदेशा
काली दास्तान भी ले जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
मॅन पपिहरा प्यासा रह जाए
भीगी भीगी खिड़की से देखता हूँ
कोई आ जाए शायद कोई आ जाए
आलसी सावन बद्री उड़ाए
Written by: Dr Bhupen Hazarika, GulzarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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