Hamse Ka Bhool Huyi

अनवर हुसैन

हुंसे का भूल हुज़ो यह सज़ा हांका मिली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली दिल किसी का ना दुखे हुँने बस इतना चाहा पाप से डोर रहे, झूठ से बचना चाहा पाप से डोर रहे, झूठ से बचना चाहा उसका बदला यह मिला उल्टी च्छुरी हम पे चली अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली हम पे इल्ज़ाम यह है चोर को क्यूँ चोर कहा क्यूँ सही बात कही, काहे ना कुच्छ और कहा क्यूँ सही बात कही, काहे ना कुच्छ और कहा यह है इंसाफ़ तेरा वा रे दाता की गली अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली अब तो ईमान धरम की कोई कीमत ही नही जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नही जैसे सच बोलने वालों की ज़रूरत ही नही ऐसी दुनिया से तो दुनिया तेरी वीरान भली अब तो चारों ही तरफ बंद है दुनिया की गली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली हुंसे का भूल हुई जो यह सज़ा हांका मिली ठोकरें हुमको क़ुबूल राह किसी को मिल जाए हम हुए ज़ख़्मी तो क्या दूजे का गुलशन खिल जाए हम हुए ज़ख़्मी तो क्या दूजे का गुलशन खिल जाए दाग सब हुमको मिले यार को सब फूल काली दाग सब हुमको मिले यार को सब फूल काली ज़िंदगानी की शमा बुझ के अगर रह जाए यह समझ लेंगे के हम आज किसी काम आए यह समझ लेंगे के हम आज किसी काम आए ज्योत अपनी जो बुझी यार के जीवन में जले ज्योत अपनी जो बुझी यार के जीवन में जले

Written by: Majrooh Sultanpuri, Roshan RajeshLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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