Lamhe Guzar Gaye
अनुपम रॉय
लम्हे गुज़र गये
चेहरे बदल गये
हम थे अंजानी राहो में
पल में रुला दिया
पल में हसा के फिर
रह गये हम जी राहो में
थोड़ा सा पानी है रंग है
थोड़ी सी छाँव है
चुभती है आँखो में धूप
ये खुली दिशाओ में
और दर्द भी मीठा लगे
सब फ़ासले ये कम हुए
ख्वाबो से रस्ते सजाने तो दो
यादो को दिल में बसाने तो दो
लम्हे गुज़र गये
चेहरे बदल गये
हम थे अंजानी राहो में
थोड़ी सी बेरूख़ी जाने दो
थोड़ी सी ज़िंदगी
लाखो स्वालो में ढूंधू क्या
थक गयी ये ज़मीन है
जो मिल गया ये आसमा
तो आसमा से मांगू क्या
ख्वाबो से रस्ते सजाने तो दो
यादो को दिल में बसाने तो दो
लम्हे गुज़र गये
चेहरे बदल गये
हम थे अंजानी राहो में
पल में रुला दिया
पल में हसा के फिर
रह गये हम जी राहो में
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
लम्हे गुज़र गये लम्हे गुज़र गये
Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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