Sathia
अंकित तिवारी, Mehak Suri
यून तो ज़िंदगी से
होती थी मुलाक़ातें
पहली बार की है
ज़िंदगी ने मुझसे बातें
अजनबी सा एहसास है
हर पल अब तो ख़ास है
तुम पर गये जो साथिया
साथिया
साथिया
साथिया
यून तो ज़िंदगी से
होती थी मुलाक़ातें
पहली बार की है
ज़िंदगी ने मुझसे बातें
अजनबी सा एहसास है
हर पल अब तो ख़ास है
तुम पर गये जो साथिया
साथिया
साथिया
साथिया
ख्वाहिशों में फिर से
बेताबियाँ जगी हैं
हंसते हंसते हैं आँखों में नमी
हसरतें भी मेरी करने लगी ठगी
पैरों के नीचे से निकली ज़मीन
अजनबी सा एहसास है
हरपाल अब तो ख़ास है
तुम बन गये जो साथिया (आ आ आ)
साथिया (आ आ आ)
छेड़ दी हवाएँ कानो में कह रही
तुझको ऐसी खुश देखा ना कभी
दिल में यों सपनो की नदिया सी बह रही
जिसमे भीगे है अरमान सभी
अजनबी सा एहसास है
हरपाल अब तो ख़ास है
तुम बन गये जो साथिया (आ आ आ आ)
साथिया
साथिया
साथिया
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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