Alfazon Ki Tarah

अंकित तिवारी

तेरे सिवा किसको सोचूँ मैं मेरी सोच पे तुम बैठे हो साँसें जहाँ बनती हैं मेरी उस मोड़ पे तुम रहते हो हे हे ना तेरे सिवा किसको सोचूँ मैं मेरी सोच पे तुम बैठे हो साँसें जहाँ बनती हैं मेरी उस मोड़ पे तुम रहते हो तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह तू मेरे लिहाज़ों की तरह गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे तू मेरी आवाज़ों की तरह ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ मेरे हाथों से जो अदा हो उस दुआ की चाह तू गुज़रे जो रब के यहाँ से वो जन्नती सी राह तू सजदा तुम्हें सौ दफ़ा करूँ उस रब की तरह दिखते हो साँसें जहाँ बनती हैं मेरी उस मोड़ पे तुम रहते हो तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह तू मेरे लिहाज़ों की तरह गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे तू मेरी आवाज़ों की तरह ना ना ना रे ख़ाबों के लबों पे तू ही था रुका या तेरा नाम था नींदें मेरी ढूँढती रही तुझे तू कहीं गुमनाम था लगता हूँ मैं तेरे हूबहू और तुम भी मेरे जैसे हो साँसें जहाँ बनती हैं मेरी उस मोड़ पे तुम रहते हो ओ तू मेरे अल्फ़ाज़ों की तरह तू मेरे लिहाज़ों की तरह गुनगुना लूँ आजा मैं तुझे तू मेरी आवाज़ों की तरह ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ

Written by: ABHENDRA KUMAR UPADHYAY, ANKIT TIWARILyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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