Tu Gham Pehan ke
अल्तमश फरीदी
तू ग़म पहन के
हाँ अश्क बन के
अब गिर रहा है
आँखों से मेरे
मेरे लबों पे
टुकड़े हंसी के
अब ना मिलेंगे
सुन ले ज़रा
दिल में चुभती है तेरी ख़ामोशी
मुझको सताती है तेरी नाराज़गी
ओह जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
आ आ आ आ आ आ आ आ आ
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
सेहरा सा तेरे बिन मैं
सुनसान सा हूँ
तारों के जैसे दिन में
गुमनाम सा हूँ
चाँद से पूछो मेरी
शब् का सफ़र तू
अपनी ही नींदों से
अंजान सा हूँ
सुन ले ज़रा
दिल में चुभती है तेरी ख़ामोशी
मुझको सताती है तेरी नाराज़गी
ओह जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
है पास में मेरे यह
जो चंद साँसें
इनका करूँ मैं क्या
कुछ तो बता दे
मेरी हथेलियों के
आ पास में और
तू जिन लकीरों में था
उनको मिटा दे
सुन ले ज़रा
दिल में चुभती है तेरी ख़ामोशी
मुझको सताती है तेरी नाराज़गी
ओह जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
जीने दे जीने दे
लम्हा भर जीने दे
पीने दे पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
अश्क़ों को पीने दे
पीने दे
Written by: ABHENDRA KUMAR UPADHYAY, ASHFAQUELyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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