Soz E Aawaz Ka Hote Hi Asar
मोहम्मद हुसैन, Ahmed Hussain
सोज़ ए आवाज़ का होते ही
असर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का होते ही
असर जलता है
राग की आग में
नगमें का जिगर जलता है
राग की आग में
नगमें का जिगर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का
फन में फनकार
जलता हैं लाहूं यूँ जैसे
फन में फनकार
फन में फनकार
फन में फनकार
फन में फनकार
फन में फनकार
जलता हैं लाहूं यूँ जैसे
मों के जिस्म में
धागे का जिगर जलता हैं
मों के जिस्म में
धागे का जिगर जलता हैं
राग की आग में
नगमें का जिगर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का होते ही
असर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का
मेरी आँखों से
कोई च्चीं ले नींदे मेरी
मेरी आँखों से
कोई च्चीं ले नींदे मेरी
ख्वाब वो आते हैं
जैसे मेरा घर जलता हैं
ख्वाब वो आते हैं
जैसे मेरा घर जलता हैं
राग की आग में
नगमें का जिगर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का होते ही
असर जलता है
सोज़ ए आवाज़ का
ज़िंदगी आग के बिस्तर के
शिवा कुछ भी नही
ज़िंदगी आग के बिस्तर के
शिवा कुछ भी नही
इश्स चीता में तो आज़ल ही से
बशर जलता हैं
इश्स चीता में तो आज़ल ही से
बशर जलता हैं
जब भी माज़ी पे
ठहेरती हैं नज़र आए दाना
जब भी माज़ी पे
ठहेरती हैं नज़र आए दाना
परदाए जहें पे
यादों का नगर जलता हैं
परदाए जहें पे
यादों का नगर जलता हैं
सोज़ ए आवाज़ का होते ही
असर जलता है
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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