Har Ek Baat Pe Kehte Ho

मोहम्मद हुसैन, Ahmed Hussain

हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़ागू क्या हैं तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़ागू क्या हैं हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं रागो में डोडते फिरने के हम नही पायल रागो में डोडते फिरने के हम नही पायल जब आप ही से ना तका तो फिर लाहूं क्या हैं जब आप ही से ना तका तो फिर लाहूं क्या हैं तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़ागू क्या हैं हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं जला हैं जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा जला हैं जिस्म जहाँ दिल भी जल गया होगा उरेजते हो जो अपराध ज़ुस्तज़ू क्या हैं उरेजते हो जो अपराध ज़ुस्तज़ू क्या हैं तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़ागू क्या हैं हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं बना हैं शे का मसाहिब फिर रहेट राता बना हैं शे का मसाहिब फिर रहेट राता बगार ना शहेर में ग़ालिब की आबरू क्या हैं बगार ना शहेर में ग़ालिब की आबरू क्या हैं तुम्ही कहो के ये अंदाज़े गुफ़ागू क्या हैं हर एक बात पे कहते हो तुम के तू क्या हैं

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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