Tum Ho Nazmm Hamaarii

Abhijeet Sawant, Himesh Reshammiya

मेरी शायरी भी तुम हो तुम हो इक नज़्मं हमारी तुम रेहती हो धड़कन में तुम हो जिन्दगी हमारी तुम ही तो हो आशकी और दिल्लगी हमारी मेरी शायरी भी तुम हो तुम हो इक नज़्मं हमारी तुम रेहती हो धड़कन में तुम हो जिन्दगी हमारी तुम ही तो हो आशकी और दिल्लगी हमारी कोई नहीं जानता है क्यूँ इश्क होता है लेकिन जब भी होता दिल सपने संजोता है उन सपनों में रेहेती उम्मीदे हैं सारी मेरी बैचेनी भी तुम हो तुम राहत हो हमारी तुम रेहती हो धड़कन में तुम हो जिन्दगी हमारी तुम ही तो हो आशकी और दिल्लगी हमारी हो तुमसे मिलके दिल का आलम बेपाक हो जाता है लेकिन तुम्हें खोने का डर भी साथ साथ ले आता है उस डर में जीना है बस किस्मत हमारी मेरी आवारगी भी तुम हो तुम हो त्रिषनगि हमारी तुम रेहती हो धड़कन में तुम हो जिन्दगी हमारी तुम ही तो हो आशकी और दिल्लगी हमारी

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