Chitthi

Varun Grover, Vishal Chandrashekhar, Yazin Nizar

चिट्ठी हैं या कोई दिल हैं ये लफ्ज़ो में धड़के हैं क्यूँ सिया ये चिट्ठी नहीं ये बादल हैं ये लिपटी हैं मुझसे ये अस्मा से इन छोटे से पन्नो में मेरी सारी कमाई हैं उड़ता हु कागज के कतरो सा जब से हाँ तू आयी हैं भरखा मिलती प्यासे को हाँ ऐसे तू मिली जाना जाने जैसे आती तू भी बिन बुलाये चले आना भरखा मिलती प्यासे को हाँ ऐसे तू मिली जाना जाने जैसे आती तू भी बिन बुलाये चले आना बातों में बातें है उलझी हुयी पढ़ के में सुलझा जा रहा शब्दो से जोड़ा हैं चेहरा तेरा चहरे में घुलता जा रहा हूँ तुझे लिए हाथों में चला जा रहा हूँ में गिनता हूँ तारो को फूलो को खत में जो चलके आये हैं भरखा मिलती प्यासे को हाँ ऐसे तू मिली जाना जाने जैसे आती तू भी बिन बुलाये चले आना भरखा मिलती प्यासे को हाँ ऐसे तू मिली जाना जाने जैसे आती तू भी बिन बुलाये चले आना.

Written by: Varun GroverLyrics © Sony/ATV Music Publishing LLCLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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