Maula

वसुदा शर्मा

माया मरी ना, ना मन मरा मर मर गए शरीर आशा, तृष्णा ना मरी कह गए संत कबीर हो माया में अटकी है जान माया में अटकी है जान कितना बदल गया इंसान माया में अटकी है जान कितना बदल गया इंसान बुरा जो देखन मैं चला बुरा ना मिलया जो मन खोजा आपना तो मुझसे बुरा ना कोय तो मुझसे बुरा ना कोय मौला माया में अटकी है जान माया में अटकी है जान कितना बदल गया इंसान माया में अटकी है जान कितना बदल गया इंसान

Written by: VASUDA SHARMALyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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