Shikayat

Archana Gore, Tarannum Mallik Jain, Aditi Paul

किसी की याद में शाम लिए गुजारने के लिए कालेजा चाहिए खुद को मार्ने के लिए के घाट मौत के हर दिन उतरना पड़ता है ये इश्क दिल में मेरी जान उतारने के लिए सुना है के उनको शिकायत बहुत है सुना है के उनको शिकायत बहुत है तो फिर उनको हम से मोहब्बत बहुत है सुना है के वो तोड़ देते हैं दिल तो हममें टूटने की भी आदत बहुत है सुना है के उनको शिकायत बहुत है नज़र भर के वो देखते भी नहीं है हमारे लिए सोचते भी नहीं है नहीं है नहीं सोचते भी नहीं है गुजरात हैं हम रोज़ पेहलो से उनके मगर वो हमें रोकता भी नहीं है हान हान रोकते भी नहीं है हान हान रोकते भी नहीं है सुना है के नफ़रत वो करते हैं हम हमें उनकी नफ़रत से राहत बहुत है सुना है के उनको शिकायत बहुत है सुना है के उनको शिकायत बहुत है शहर चाहे जीवन का वीरान कर दो मगर देख कर हमको हेयरन कर दो भरम आज भी है वफाओं का हमको इज्जत है जाना खतरों की तुमको खाता पर भी उनकी खफा हम नहीं है किसी हाल में भी लगा हम नहीं है नहीं है नहीं हन जुदा हम नहीं है वो इल्ज़म जितने भी चाहे लगा लें वफ़ादार है बेवफ़ा हम नहीं है हान हान बेवफा हम नहीं है हान हान बेवफा हम नहीं है सुना है के वो भूल जाते हैं मिल कर हमें उनकी यादों की दौलत बहुत है सुना है के उनको शिकायत बहुत है सुना है सुना है शिकायत बहुत है हान जी हान जी सुना है मोहब्बत बहुत है हान हान हन उनकी नफ़रत से राहत बहुत है हमें टूटने की भी आदत बहुत है शिकायत मोहब्बत है राहत बहुत है हममें उनकी यादों की दौलत बहुत है सुना है सुना हा हा हम सुना है सुना सुना है है सुना है के उनको शिकायत बहुत है

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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