Zaalima

Sreerama Chandra, डीजे शिल्पी शर्मा, Harshdeep Kaur

ओ ज़ालिमा जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही क्या उसे तड़पाना ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा जो तेरे इश्क़ में बहका पहले से ही क्या उसे बहकना ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा आँखें मरहबा, बातें मरहबा मैं सौ मर्तबा दीवाना हुआ मेरा ना रहा जब से दिल मेरा तेरे हुस्न का निशाना हुआ जिसकी हर धड़कन तू हो ऐसे दिल को क्या धड़कना ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालीमा ओ ओ ओ ओ ज़ालिमा साँसों में तेरी नज़दीक़ियों का इत्र तू घोल दे, घोल दे मैं ही क्यूँ इश्क़ ज़ाहिर करूँ तू भी कभी बोल दे, बोल दे लेके जान ही जाएगा मेरी क़ातिल हर तेरा बहाना हुआ तुझसे ही शुरू तुझपे ही ख़तम मेरे प्यार का फसाना हुआ तू शम्मा है तो याद रखना मैं भी हूँ परवाना ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा जो तेरी खातिर तडपे पहले से ही क्या उसे तड़पाना ओ ज़ालिमा, ओ ज़ालिमा ओ ओ ओ ओ ज़ालिमा

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