Raakh Ka Dariya
Sohail Sen, Divya Kumar
सोचा था क्या क्या हो गया
सब बेवजह सा हो गया
सौ रास्ते सारे गलत
जो था सही कहीं खो गया
था खेल सब तो खेल में
रूठी कहाँ मनमानियां
नादानियाँ ये क्या हुई
दुश्वारियां अब यारियां
आसमानो से भी क्यूँ
तारे भी छीन गये
रात काली हैं अब
रोशन वो दिन गये
हैं अँधेरा घना
जाने हो किस तरह
वो सुबह, वो सुबह
हमसफ़र तनहा
दरबदर दुनिया
किस्मतें रुस्वा
कश्मकश गलियां
खनजली राहें
लम्हों में सदियां
मस्करी सांसें
गुमसुदा खुशियां
आग सीने में
ख़ाख़ जीने में
आख ये लम्हे
राख का दरिया
है दरारे क्यो आएनए मे
दिल गिरा हैं किन खाइयो में
भाग ते है परछाइयों से क्यों
दिल समुन्दर हैं लहरें तूफ़ान
हैं हवा का भवंडर झोका
डूबने को है अपनी कश्तियाँ
बिन डोर की पतंगें हैं
बिन छोड़ की सुरंगे हैं
एक धूंध सी हैं छाई
अपनी आँखों में
हमफ़र तनहा
दरबदर दुनिया
किस्मतें रुस्वा
कश्मकश गलियां
खानजली राहें
लम्हों में सदियां
मस्करी सांसें
गुमसुदा खुशियां
आग सीने में
ख़ाख़ जीने में
आख ये लम्हे
राख का दरिया
Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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