Kareebb

Sireesha Bhagavatula

नज़दीकियों के डर से हम तो घबरा रहे है नज़दीकियों के डर से हम तो घबरा रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जा रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जा रहे है साँसों के पास आके कर बैठ ना खतायें जोशी जूनून मे पड़ के फिर बाद मे पछताए जोशी जूनून मे पड़ के फिर बाद मे पछताए यह सोच सोच के हम खुद को तडपा रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जा रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जा रहे है चलो अपने इश्क़ को हम रिश्ते का नाम दे दे अब अपनी चाहतों को सिंदूरी शाम दे दे अब अपनी चाहतों को सिंदूरी शाम दे दे ऐसे ख़यालों से ही अब दिल को महका रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जेया रहे है बेहद करीब तेरे हम हुए जा रहे है

Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind

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