Thehar

Shilpa Rao, गौरव चैटर्जी

ठहर एक पहर साँस ले ये ज़िंदगी लहर खीचे लहर हाथ दे ज़िंदगी गुज़र जो गया उसे बीत जाने दे आए जो नींद तो ख्वाब आने दे ठहर एक पहर साँस ले ज़िंदगी मिले अब तो मिले कोई थपकी सुकून की खुले अब तो खुले कोई खिड़की धुप की अधूरा कुछ रहा तो रह जाने दे आये जो नींद तो ख्वाब आने दे ठहर एक पहर साँस ले ज़िंदगी ठहर एक पहर साँस ले ज़िंदगी

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