Parindey

Shilpa Rao

ओढ़े हुए वो चादर में दो परिंदे है सोने भी दो आसमा भी ना रहा उनका छुपके तो मिलने भी दो ओढ़े तिनके सारे जुडने भी दो ज़रा एक दफा वो चादर में दो परिंदे है सोने भी दो आसमा भी ना रहा उनका छुपके तो मिलने भी दो किया ना गुनाह तो क्यूँ सोचना कहा लें भला हम पनाह किया ना गुनाह तो क्यूँ सोचना कहा लें भला हम पनाह आए परों पें जख्म बेवजह उनको तो भरने भी दो ओढ़े हुए वो चादर में दो परिंदे है सोने भी दो आसमा भी ना रहा उनका छुपके तो मिलने भी दो उडे तिनके सारे जुडने भी दो ज़रा एक दफा वो चादर में दो परिंदे है सोने भी दो आसमा भी ना रहा उनका छुपके तो मिलने भी दो

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