एक रात थी मेरी
एक बात अनकही
एक साँस बुझी बुझी सी
घूँसूँ सड़कों पे
कुछ ख़ास फारकों पे
ज़िंदगी उड़ी हुई सी
डब गया है कहीं
शभ गया है दूर
रब गया है कहीं कब
हो डब गया है कहीं
शभ गया है दूर
रब गया है कहीं कब से जुड़ा है
हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु
एक बूँद भी पानी की
बाढ़ जैसी लगती है
थोड़ी सी चुन लें तो
बात जैसी लगती है
गुमसुदा है खैर है
खांखा जो गैर हो गया
आ आ
एक जान थी मेरी
एक साँस कम करी
एक प्यास बुझी बुझी सी
घूँसूँ सड़कों पे
कुच्छ ख़ास फारकों पे
ज़िंदगी उड़ी हुई सी
डब गया है कहीं
शभ गया है दूर
रब गया है कहीं कब
डब गया है कहीं
शभ गया है दूर
रब गया है कहीं कब से जुड़ा है
हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु हु
Written by: ALOKNAND DASGUPTA, RAJSHRI DASGUPTALyrics © Phonographic Digital Limited (PDL), Royalty Network, Shemaroo Entertainment LimitedLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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