Jab Tak Hai Jaan

शाह रुख़ ख़ान

तेरी आँखों की नमकीन मस्तियाँ तेरी हंसी की बेपरवाह गुस्ताखियाँ तेरी जुल्फों की लहराती अंगड़ाइयाँ नहीं भूलूंगा मैं जब तक है जान जब तक है जान तेरा हाथ से हाथ छोड़ना तेरा सायों से रुख मोड़ना तेरा पलट के फिर न देखना नहीं माफ़ करूँगा मैं जब तक है जान जब तक है जान बारिशों में बेधड़क तेरे नाचने से बात बात पे बेवजह तेरे रूठने से छोटी छोटी तेरी बचकानी बदमाशियों से मोहब्बत करूँगा मैं जब तक है जान जब तक है जान तेरे झूठे कसमें वादों से तेरे जलते सुलगते ख्वाबों से तेरी बे रहम दुआओं से नफरत करूँगा मैं जब तक है जान जब तक है जान

Written by: A R RAHMAN, GULZARLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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