Pankhon Ko

सलीम मर्चंट

पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो दिल बोले सोया था अब जगने दो हो दिल दिल में है दिल की तमन्ना सा तो सा लौ चलो ज़रा सी तपने दो उड़ने दो हो ओ उड़ने दो हो उड़ने दो हो ओ हवा ज़रा सी लगने दो सोया था अब जगने दो हो पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो धूप खिले जिस्म गरम सा है सूरज यहीं यह भरम सा है बिखरे हुई रहे हज़ारो सौ थामो कोई फिर भटकने दो उड़ने दो हो ओ उड़ने दो हो उड़ने दो हो ओ हवा ज़रा सी लगने दो ओ सोया था अब जगने दो हो पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो हु हु हु हूउउ हु उड़ने दो हो ओ(हूँ होऊ)) हवा ज़रा सी लगने दो(हूँ होऊ) हु हु हु हूउउ हु दिल की पतंग चाहों में गोते खाती है दिल तो दो देखो कहाँ पे जाती है उलझे नहीं तो कैसे सुलझोगे बिखरे नहीं तो कैसे निखरोगे उड़ने दो हो ओ ओ ओ उड़ने दो हो ओ हवा ज़रा सी लगने दो सोया था अब जगने दो हो पंखों को हवा ज़रा सी लगने दो हु हु हु हूउउ हु उड़ने दो हो ओ(हूँ होऊ) हवा ज़रा सी लगने दो(हूँ होऊ) हु हु हु हूउउ हु

Written by: JAIDEEP SAHNILyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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