Pari

Nitish R Kumar, Neeti Mohan, Sachin Gupta

ख्वाब में थी जो परी नींद टूटी तो खो गयी ना ज़मीन ना आसमान वो हवाओं की हो गयी ज़िद है मेरी आँखों की ये फिर से मिले आ कर मुझे ख्वाबों की वो परी इक निशा रह गया मेरे ज़हन पर वहीं छू गयी थी जहाँ ज़िंदगी पूछते फिर रहे सारे सवालों में हम है भला अब कहाँ ज़िंदगी ज़िद है मेरी साँसों की ये फिर से उन्हें आ थाम ले ख्वाबों की वो परी ख्वाबों की वो परी वक़्त की, राह पर कोई भी ऐसा ना था जानता था तेरा जो पता हर घड़ी, बढ़ रहा ये बीच का फासला तू कहाँ है तू ही अब बता ज़िद है मेरी बाहों की यह फिर से लगे आ के गले ख्वाबों की वो परी ख्वाबों की वो परी ख्वाबों की वो परी ख्वाब में थी जो परी नींद टूटी तो खो गयी ना ज़मीन ना आसमान वो हवाओं की हो गयी ज़िद है मेरी आँखों की ये फिर से मिले आ कर मुझे ख्वाबों की वो परी

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