Aye Mere Khuda

स्वाती शर्मा, राहत फतेह अली खान

ओहो हो आ आ आ क्या चीज़ ज़िन्दगी है महसूस किया होता टुकड़ों में अगर बटते मैं यूँ न जीया होता ए मेरे खुदा तूने इतना तो किया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता ओ हो हो आ आ आ आ मैं कैसे सहूँ बढती हुयी ये दूरियां ले लेती है जान पल पल मेरी मजबूरियां अब दिल को सँभालु मैं या खुद को सँभालु तू ही बता दे तनहा मैं किस किस को सँभालु क्या मेरा अब कहीं कोई भी न रहा ज़िन्दगी तरस गयी सुनने को एक सदा मुझको भी संभल ने को कोई तो दिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता आ आ आ आ आ आ आ आ आ यूँ तन्हाई से जुड़ गया सिल सिला हाँ मुझको कभी दुःख के सिवा कुछ न मिला ज़ख्मो से नहीं शिकवा पर मरहम तो लगता मेरे लिए भी राहत का एक लम्हा तो बनता किस खता की सज़ा दी मुझे ये बता तुझपे इतना क्या इतना भी हक नहीं था मेरा जाके दामन मेरा थोड़ा तो सिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता क्या चीज़ ज़िन्दगी है महसूस किया होता टुकड़ों में अगर बटते मैं यूँ न जीया होता ए मेरे खुदा तूने इतना तो किया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता या दिल न दिया होता या ग़म न दिया होता.

Written by: Lyrics © RALEIGH MUSIC PUBLISHINGLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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