Pukarata Chal Hoon
Prashant Patil
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बहार की
बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बहार की
बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं
ये दिल्लगी ये शोखियाँ सलाम की
यहीं तो बात हो रही है काम की
कोई तो मुड़ के देख लेगा इस तरफ़
कोई नज़र तो होगी मेरे नाम की
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बहार की
बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं
सुनी मेरी सदा तो किस यक़ीन से
घटा उतर के आ गयी ज़मीन पे
रही यही लगन तो ऐ दिल-ए-जवाँ
असर भी हो रहेगा इक हसीन पे
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बहार की
बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं
गली गली बहार की
बस एक छाँव ज़ुल्फ़ की
बस इक निगाह प्यार की
पुकारता चला हूँ मैं
Written by: Majrooh Sultanpuri, O P NayyarLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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