Inkaar

पापाेन, शहीद मल्ल्या

ख़ामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है ख़ामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है लफ़्ज़ों ने चुना, लफ़्ज़ों ने बुना जो भी हम ने कहा जो भी हम ने सुना ना हमें इल्म है ना तुम्हें है पता जाने हो कब कहाँ, लफ़्ज़ों से खता लफ़्ज़ों में वा, कुछ कही अनसुना लफ़जों में बयां, कुछ कही अनकहा दिल पे जाने कहा, घाव कोई लगा लब्ज़ ही दे गये, लफ़्ज़ों को दगा ख़ामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है खामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है राज हैं सैंकड़ों लब्ज़ के ढेर में माईने हो जुदा लफ़्ज़ों के फेर में लब जलाते कभी ऐसे भी मोड़ पे सब चले जाते हैं जब हमें छोड़ के लब्ज़ ही लब्ज़ में ही बात बन जाती है लब्ज़ ही लब्ज़ में ही बात ठन जाती है कुछ भी सोचा नहीं लफ़ज़ों में वह गये कहना था कुछ हमें और कुछ कह गये खामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है खामोशियाँ आवाज है लफ़जों में बस इन्कार है लफ़्ज़ों ने चुना, लफ़्ज़ों ने बुना जो भी हम ने कहा जो भी हम ने सुना ना हमें इल्म है ना तुम्हें है पता(खामोशियाँ आवाज है) जाने हो कब कहाँ, लफ़्ज़ों से खता(लफ़जों में बस इन्कार है)

Written by: SHANTANU MOITRA, SWANAND KIRKIRELyrics © Universal Music Publishing GroupLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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