ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
भाग लगे इस आँगन को
भाग लगे इस आँगन को
अपने पिया के मैं बल बल जाऊँ
अपने पिया के मैं बल बल जाऊँ
चरन लगायो निर्धन को
चरन लगायो निर्धन को
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
ऐ री सखी मोरे
पिया घर आए
मैं तो खड़ी थी आस लगाए
मेंहदी कजरा माँग सजाए
मैं तो खड़ी थी
मैं तो खड़ी थी आस लगाए
मेंहदी कजरा माँग सजाए
देखी सुरतियां अपने पिया की
देखी सुरतियां अपने पिया की
हार गई मैं तन मन को
हार गई मैं तन मन को
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
जिस के पिया संग बीते सावन
उस दुल्हन की रैन सुहागन
जिस के पिया संग बीते सावन
उस दुल्हन की रैन सुहागन
जिस सावन में पिया घर नाही
जिस सावन में पिया घर नाही
आग लगे उस सावन को
आग लगे उस सावन को
ऐ री सखी मोरे पिया घर आए
Written by: ANGARAAG MAHANTALyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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