Ghoonghro On Ki Khanak Bhi Ubharti Nahin
पंकज उधास
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
अब वो लड़की इधर से गुजरती नहीं
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
कितनी भाने लगी उसको तन्हाईया
कितनी भाने लगी उसको तन्हाईया
कितनी भाने लगी उसको तन्हाईया
अब वो छत से भी नीचे उतरती नहीं
अब वो छत से भी नीचे उतरती नहीं
अब वो लड़की इधर से गुजरती नहीं
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
सा नि सा ग मा प धा नि ध नि रे ग मा प मा ग रे
रे रे ग मा प सा नि सा ध प मा ग मा ग मा प
वो छलकती हुई प्यास क्या हो गयी
वो छलकती हुई प्यास क्या हो गयी
वो छलकती हुई प्यास क्या हो गयी
अब वो पानी भी पनघट पे भरती नहीं
अब वो पानी भी पनघट पे भरती नहीं
अब वो लड़की इधर से गुजरती नहीं
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
कितने सुनसान है गाँव के रास्ते
कितने सुनसान है गाँव के रास्ते
कितने सुनसान है गाँव के रास्ते
कोई आहत फ़ज़ा मे बिखरती नहीं
कोई आहत फ़ज़ा मे बिखरती नहीं
अब वो लड़की इधर से गुजरती नहीं
घुंघरुओ की खनक भी उभरती नहीं
Written by: Lyrics Licensed & Provided by LyricFind
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