Ek Aisi Ghazal

पंकज उधास

एक ऐसी ग़ज़ल है जिसको अल्फ़ाज़ दे ना पाया एक ऐसी ग़ज़ल है जिसको अल्फ़ाज़ दे ना पाया अपनी ही शायरी को आवाज़ दे ना पाया एक ऐसी ग़ज़ल है जिसको अल्फ़ाज़ दे ना पाया चाहत के आस्मा को चाँद की ज़रूरत चाहत के आस्मा को चाँद की ज़रूरत महबूब की तरह जो मुझको लगे खूबसूरत अब तक तो उसे मैं नया एक अंदाज दे ना पाया अपनी ही शायरी को आवाज़ दे ना पाया एक ऐसी ग़ज़ल है जिसको अल्फ़ाज़ दे ना पाया महफ़िल तो ढूंडती है नगमो की रवानी महफ़िल तो ढूंडती है नगमो की रवानी क्यो याद दुनिया करेगी भूले से मेरी कहानी दिल की तमन्नाओ को कोई साज़ दे ना पाया अपनी ही शायरी को आवाज़ दे ना पाया एक ऐसी ग़ज़ल है जिसको अल्फ़ाज़ दे ना पाया अपनी ही शायरी को आवाज़ दे ना पाया

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