Bharat To Hai Azad
Mahendra Kapoor
रो रो कर कहता है हिमालय
और गंगा का पानी
आज़ादी पाकर भी हमने
कदर न इसकी जनि
भारत तो है आज़ाद
हम आजाद कब कहलाएंगे
भारत तो है आज़ाद
हम आजाद कब कहलाएंगे
कभी राम राज के दिन
अब अयेंगे के न आयेंगे
कभी राम राज के दिन
अब अयेंगे के न आयेंगे
दुसमन से बचकर आ गए
अपनों में आकर लुट गए
दुसमन से बचकर आ गए
अपनों में आकर लुट गए
दुसमन से बचकर आ गए
अपनों में आकर लुट गए
तूफान से कश्ती को हम
साहिल पे लाकर लुट गए
साहिल पे लाकर लुट गए
क्या थी खबर
क्या थी खबर
घर में भी हम
सुख से न जीने पाएंगे
कभी राम राज के दिन
अब अयेंगे के न आयेंगे
ऐसी हवा ऐसी फ़ज़ा
ऐसा कही पानी नहीं
दुनिआ में कोई देश भी
इस देश का सानी नहीं
इस देश का सानी नहीं
संसार क्या
संसार क्या है स्वर्ग में
मिटटी न ऐसी पाएंगे
कभी राम राज के दिन
अब अयेंगे के न आयेंगे
दिल में यही अरमान है
ये गुलसिता जिन्दा रहे
दिल में यही अरमान है
ये गुलसिता जिन्दा रहे
दिल में यही अरमान है
हम हो न हो तुम हो न
हिंदुस्ता जिन्दा रहे
हम हो न हो तुम हो न
हिंदुस्ता जिन्दा रहे
हिंदुस्ता जिन्दा रहे
मरकर कभी
मरकर कभी लौटे अगर
वापिस यही पे आएँगे
कभी राम राज के दिन
अब अयेंगे के न आयेंगे
भारत तो है आज़ाद
हम आजाद कब कहलाएंगे
अज़ाब कब कहलाएंगे
अज़ाब कब कहलाएंगे
अज़ाब कब कहलाएंगे
Written by: Hassan Kamal, RaviLyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind
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