Khai Hai Kasam

Kumar Sanu, कविता कृष्णमूर्ति

मिलते मिलते हम दोनों यु हो बैठे दीवाने मिलते मिलते हम दोनों यु हो बैठे दीवाने इक दूजे के प्यार में खोये दुनिया से बेगाने अब क्या हो अन्जाम हमारा ये तो रब ही जाने खायी है कसम ए हमसफ़र मर जाएँगे तुम्हें न पा सके हम अगर ओ खायी है कसम ए हमसफ़र मर जाएँगे तुम्हें न पा सके हम अगर हो मिलते मिलते हम दोनों यु हो बैठे दीवाने इक दूजे के प्यार में खोये दुनिया से बेगाने कहने लगी ये ज़िन्दगी सपने बहारों के बून लो लग कर मेरे सीने से तुम इस दिल का पैगाम सुन लो होश खोने लगे दिल में तूफ़ान जगे आज हमसे तो कुछ न कहो मंज़िलें प्यार की दे रही हैं सदा बस यु ही साथ चलते रहो अब क्या हो अन्जाम हमारा ये तो रब ही जाने खायी है कसम ए हमसफ़र मर जाएँगे तुम्हें न पा सके हम अगर है है है ला ला ला नाज़ुक है दिल कांच सा पत्थर के जैसी हैं रस्में तुम साथ हो जब तक सनम रस्में हैं सब अपने बस में इक हो जाएंगे रस्मों को तोड़कर इस जहां से डरेंगे न हम प्यार के वास्ते जान जाए मगर बेवफाई करेंगे न हम अब क्या हो अन्जाम हमारा ये तो रब ही जाने खायी है कसम ए हमसफ़र मर जाएँगे तुम्हें न पा सके हम अगर हां खायी है कसम ए हमसफ़र मर जाएँगे तुम्हें न पा सके हम अगर मिलते मिलते हम दोनों यु हो बैठे दीवाने इक दूजे के प्यार में खोये दुनिया से बेगाने अब क्या हो अन्जाम हमारा ये तो रब ही जाने(अब क्या हो अन्जाम हमारा ये तो रब ही जाने)

Written by: FAIZ ANWAR, SAJID ALI, WAJID ALILyrics © Royalty Network, Sentric MusicLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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