Heer Ranjha

Kritiman Mishra

चल ढूंढ़ लाए सारी मासूम सी खुशियाँ चल भूल जाए फ़ासले दरमियाँ किसने बनाया दस्तूर ऐसा जीना सिखाया मजबूर जैसा दिल तो रहा है दिल है परेशान हीर और रांझा के इश्क़ जैसा कहते हैं जो पन्ने होते नही पुरे करते बहुत कुछ बयान मिल जवँगा तुझसे फिर उन्न किताबों में हो जहा ज़िक्र तेरा तू मैं और तू तू किसने बनाया दस्तूर ऐसा जीना सिखाया मजबूर जैसा आखें मेरी सपना तेरा सपने सुबह शाम है तू है सही या मैं हूँ सही किसपे ये इल्ज़ाम है किसने बनाया दस्तूर ऐसा जीना सिखाया मजबूर जैसा दिल रो रहा है दिल हैं परेशान हीर और राँझा के इश्क़ जैसा

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