Kabhi Yun Bhi Aa

कविता शेथ

कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो कभी यूँ भी आ वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे वो बड़ा रहीम ओ करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मेरी दुआ में असर न हो कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो कभी यूँ भी आ कभी धूप दे कभी बदलिया दिल ओ जान से दोनो मुझे क़ुबूल है कभी धूप दे कभी बदलिया दिल ओ जान से दोनो मुझे क़ुबूल है मगर उस नगर में ना केद कर जहा ज़िंदगी की हवा ना हो मगर उस नगर में ना केद कर जहा ज़िंदगी की हवा ना हो कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो कभी यूँ भी आ मेरे पास मेरे हबीब आ ज़रा और दिल के क़रीब आ मेरे पास मेरे हबीब आ ज़रा और दिल के क़रीब आ तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं के कभी बिछड़ने का डर न हो तुझे धड़कनों में बसा लूँ मैं के कभी बिछड़ने का डर न हो कभी यूँ भी आ मेरी आँख में कि मेरी नज़र को ख़बर न हो मुझे एक रात नवाज़ दे मगर उसके बाद सहर न हो कभी यूँ भी आ

Written by: DR BASHIR BADR, SUDEEP BANERJEELyrics © Royalty NetworkLyrics Licensed & Provided by LyricFind

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